Tuesday 17 June 2014


कभी-कभी ही वीर नारियां,
मुश्किल से हो पाती हैं।
देशभक्ति में जीवन देकर,
अपने प्राण लुटाती हैं।।

ग्वालियर को जीत लिया था,
उस झांसी की रानी ने।
देशभक्ति का सबक सिखाने,
निकली ‍वीर भवानी ने।।

फिर अंग्रेजी सेना आई,
रानी से टकराने को।
जूझ पड़ी रणचंडी उससे,
अपना देश बचाने को।।

भीषण युद्ध लड़ा था उसने,
मरे फिरंगी सेनानी।
अंग्रेजों के छक्के छूटे,
खूब लड़ी थी मर्दानी।।

रानी के संग उसकी सेना,
करती वार प्रहार रही।
मार-मार के शत्रु दल को,
सुला मौत के द्वार रही।।

ठोकर खाते रुंड धड़ों में,
घोड़े दौड़े जाते थे।
घोड़ों की टापों से बिखरे,
शव छलनी हो जाते थे।।

आग उगलती तोप गर्जना,
टकराहट शमशीरों की।
चीत्कारें ही ‍चीत्कारें थीं
जख्मी पड़े शरीरों की।।

आगे प्राकृतिक बाधा ने,
रानी का पथ रोका था।
पीछे भी अंग्रेजी सैनिक,
मिला न कोई मौका था।।

स्वतंत्रता का शंखनाद कर,
मिट गई वीर भवानी थी।
शंख फूंककर गई जगा,
वह झांसी वाली रानी थी।।

तिथि अठारह जून दुखद दिन,
उसके बलि हो जाने का।
शोक में जन-जन की आंखों में
आंसू भर-भर आने का।।

लश्कर कैम्पू मैदान में,
चिता जली थी रानी की।
फैली चर्चा चहुं दिशा में,
अमिट कहानी रानी की।।

साभार - देवपुत्र
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1 comment:

  1. This was first Indian lady who taught Indian women pride

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