Sadachar.
सदाचार
सदाचार दो शब्दों के मेल से बना है सत + आचार अर्थात हमेशा अच्छा आचरण करना
। सदाचार मानव को अन्य मानवों से श्रेष्ठ साबित करता है। सदाचार का गुण
मानवों में महानता का गुण सृजित करता है।
मानव को समस्त जीवों में श्रेष्ठतम माना जाता है, क्योंकि मानव ने अपने
विवेक और सदाचार से अपनी महानता सर्वत्र साबित की है। सदाचार का गुण व्यकित
में सामाजिक वातावरण तथा पारिवारिक माहौल से उत्पन्न होता है। जो व्यकित
इन गुणों को आत्मसात कर पाता है, वह समाज के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायी
होता है। हम इतिहास के पन्नों में झांक कर देखें तो पाते हैं कि जितने भी
महापुरूष, कवि, लेखक तथा महान व्यकित उत्पन्न हुए सभी ने सदाचार के गुणों
को आत्मसात किया और उसे अपने जीवन में अपनाया। आज भी स्वामी विवेकानन्द,
महर्षि दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, अब्राहम
लिंकन, कार्ल माक्र्स, मदर टेरेसा आदि को उनके सदाचारी प्रवृतित के कारण ही
याद किया जाता है।
हमें अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार
हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ करेंगे ही, साथ ही औरों के लिए भी मार्गदर्शक
और प्रेरणादायी बनेंगे। आज के युवाओं में सदाचार के गुणों का अभाव होता जा
रहा है- जिससे आए दिन भ्रष्टाचार, अपराध और आपराधिक घटनाओं को बढ़ावा मिल
रहा है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे राष्ट के विकास पर भी पड़ रहा है। अत:
आज के युवाओं को यह प्रण लेना चाहिए कि वे सदाचार को अपने जीवन में
अपनाएंगे।
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